Tuesday, August 14, 2007

15 अगस्त की कुछ यादें



आज फिर एक मौका आया कि अपनी मातृभूमि और इसपर बलिदान होने वालों के बारे में चिन्तन करूँ। वैसे तो
यूँ भी सोचना होता है, पर इन मौकों पर माहौल हमारे साथ होता है और हम एक दिशा में सोच पाते हैं।आज अपनेआप को खंगाल रहा था ,हर लम्हे को याद कर रहा था जो १५ अगस्त और २६ जनवरी के कारण खुशानुमां से और रोमांचकारी हो गए हैं।याद करता हूँ मध्यमा में गुजारा समय जब मैं ,अमित ,शरत देशभक्ति गीतों को गाते रहते थे।अमित के गाने सुनकर लोमहर्षक अनुभव होता था,सच कहूँ तो सारे रोएँ खड़े हो जाते थे।प्राइमरी स्कूल में था तब प्रभातफेरी के लिए भी जाता था।छोटे झण्डे से संतुष्टि तो होती नहीं थी ,तो सारा समय बड़े झण्डे और उसे लगाने के लिए लंबे पतले बांस कि खोज में गुज़रता था।सच कहूँ तो एक प्रतिस्पर्धा हो जाती थी।कोई दर्शन नहीं था पर काफी उत्साह में सबकुछ करता था। इसी तरह N.C.C. में परेड करते हुए गुज़ारे वक़्त याद आते हैं। जब भी काफ़ी खपाया गया या हाथ ऊपर करके चक्कर लगाने को कहा गया तो मन में वन्दे मातरम् कहते हुए चक्कर लगाये।एक सुरूर चढ़ जाता था।N.C.C. गान भी काफ़ी जोश भर जाता था। बारह बज चुके हैं और अभी यहाँ हॉस्टल में भी सभी एक दूसरे को बधाइयाँ दे रहे हैं।उत्साह यहाँ भी है;अपने अलग अंदाज़ में। खैर वो तो देश,काल,परिस्थिति के अनुसार सबकुछ बदलता रहता हैं।बातें तो अभी और भी हैं,इतने में कहाँ कुछ समेट सका।कुछ लोग हैं,फ़िल्में हैं,जयमाला है परेड है और ज़लेबी भी तो!कुछ पंक्तियाँ भी लिखी हैं,इतना पढ़ चुके हैं तो ये भी पढ़ते जाइए:-




रुबरू हो शोरिश या तन्हाईयाँ रवां हो
लम्हा कोई गुज़रे
बस तुम मेरी सदा हो
मेरी खुदी क्या है?
बस तेरा एक दहकां
तुम पासबां हो मेरे,तुम्हीं मेरा जहाँ हो
जो भी है हाले-जुबूं ,जो कुछ है मयस्सर
बस तेरा है फैज़
बढ़ता ये कारवां हो
अपनी खुदी है तुझसे
तुझसे मेरा निशां है
तुझसे बिछड़कर क्या हालत मेरी बयाँ हो?
हर पल करूँ मैं सज़दे तेरे दीवारो-दर को
जिस खाक से बना हूँ
बिखरूं तो वो ही ज़र हो

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6 comments:

mamta said...

स्वतंत्रता दिवस ही बधाई और शुभकामनायें !!

Udan Tashtari said...

स्वतंत्रता दिवस ही बधाई और शुभकामनायें !!

Divine India said...

बहुत बेहतरीन कविता लिखी…
स्वतंत्रता दिवस की आपको भी शुभकामना।

Prabhakar Pandey said...

यथार्थ लेख ।
स्वतंत्रता दिवस ही बधाई और शुभकामनायें !!

Rahul Priyedarshi said...

raw and innocent emotions put forth in seasoned words.. nice post

परमजीत सिहँ बाली said...

स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें !