Sunday, October 7, 2007

तेरी बात चल गयी

संसार में सबकुछ क्षणभंगुर है,कभी-कभी हर जगह और हर पल यह अहसास होता है।
बज़्म में बैठे तो जाम चला
और साकी तेरी बात चल गयी

साकी तेरा दीदार भी तो पल भर का ही है जैसे उनके दीदार को तरस गये।
तन्हा राहों पर हम थे तन्हा
सोचा तो तेरी बात चल गयी
अकेले सफ़र पर चल निकला हूँ और तेरी याद आ गयी है।
शमां खामोश जलती थी
बुझी जो तेरी बात चल गयी

जैसे शमां ने भी कुछ देर जलकर साथ तो दिया पर वो भी साथ छोड़ गयी।
तश्नगी में बहर तक जा पहुँचे
मिटी न प्यास तेरी बात चल गयी

ऐसे में किसी शख्स को क्या पता कि कहाँ जाये?बेचारा प्यास लेकर समंदर के पास चला गया।
दिन डूबा और कुछ ना मिला
हुई है रात तेरी बात चल गयी
दिनभर कुछ-कुछ करते रहे पर इसका क्या हासिल निकला?यहाँ भी तुम याद आने लगे।
गुंचो में अटकी थी शबनम
हुई फ़नां तेरी बात चल गयी

शबनम ने भी फूल का साथ छोड़ दिया।
जमीं पर बिखरे थे कुछ पत्ते
हुये कदमत़र तेरी बात चल गयी
और जमीन पर बिखरे हुये पत्ते लोगों के कदमों के नीचे आते गये,उन्हें देखता रहा और सोचता रहा।

पुन:श्च---
बज़्म में बैठे तो जाम चला
और साकी तेरी बात चल गयी
तन्हा राहों पर हम थे तन्हा
सोचा तो तेरी बात चल गयी
शमां खामोश जलती थी
बुझी जो तेरी बात चल गयी
तश्नगी में बहर तक जा पहुँचे
मिटी न प्यास तेरी बात चल गयी
दिन डूबा और कुछ ना मिला
हुई है रात तेरी बात चल गयी
गुंचो में अटकी थी शबनम
हुई फ़नां तेरी बात चल गयी
जमीं पर बिखरे थे कुछ पत्ते
हुये कदमत़र तेरी बात चल गयी


No comments: