वक्त है सहमा, वस्ल है सहमा
कोई दिखा ना राहों में
दिन भी है डूबा, दिल भी है डूबा
तन्हा सफ़र है ख्वाबों में
ख्वाब सहर का,खवाब सहर तक
कौन बसा इन आँखों में
बात फँसी है,बात जमी है
कैसी है उलझन रातों में
जलती सबा है, चुभती सबा है
कुछ तो फँसा है साँसों में
प्यासी है हसरत,लम्बी है फ़ुरकत
अब तो मिलो बरसातों में
कोई दिखा ना राहों में
दिन भी है डूबा, दिल भी है डूबा
तन्हा सफ़र है ख्वाबों में
ख्वाब सहर का,खवाब सहर तक
कौन बसा इन आँखों में
बात फँसी है,बात जमी है
कैसी है उलझन रातों में
जलती सबा है, चुभती सबा है
कुछ तो फँसा है साँसों में
प्यासी है हसरत,लम्बी है फ़ुरकत
अब तो मिलो बरसातों में
6 comments:
sundar....
यह तो शानदार गीत बन गया…
बहुत खूबसूरती से भाव को प्रस्तुत
किया है…।
बेहतरीन गीत!!
प्यासी है हसरत,लम्बी है फ़ुरकत
अब तो मिलो बरसातों में
--शुभकामनायें, जल्द बारिश हो और आपकी मुलाकात. :)
सही है। लेकिन अब तो बरसात बीत गयी। :)
Nice one!!!
So u doing chemical engineering...huh!
Which year??
साहिल साहिल रेती रेती
रिश्तों में और नातों में
दाद के साथ
देवी
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