Saturday, August 30, 2008

सुर्ख आँखें हैं तेरी (नज़्म)

एक और तुकबंदी मेरी कलम से,लिखने का मन हुआ और लिख दिया,जैसा भी है प्रस्तुत कर रहा हूँ-----


सुर्ख आँखें हैं तेरी
.... तूने पी कहाँ साकी
जिंदगी ने मुझे मौत का दीवाना कर दिया |

आँखों मे जो देखा
....उस अय्यार के
दिल को तीरे-नजर का निशाना कर दिया |

शोर है फिजाओं में
....सन्नाटे किधर गए
शहर ने मेरे तसव्वुर को वीराना कर दिया |

बहुत नादान थे
....तुझे ढूँढते फिरते थे
गम ने आसमां को तेरा ठिकाना कर दिया |

आह निकली थी
....चुपचाप तेरे ज़ेरे-दामन
खुदाया तूने उसे जहाँ का तराना कर दिया |

चंद आँसू थे
....निकले जो तेरी सोहबत में
खारे पानी को तूने दौलते-जमाना कर दिया |

अबके लगता था
.... तू आयेगी शबे-वस्ल
अज़ल तूने भी आखिर बहाना कर दिया |

3 comments:

राजीव रंजन प्रसाद said...

प्रभाकर जी..


केवल तुकबंदी नहीं है..नायाब पंक्तियाँ हैं, बधाई स्वीकारें..


***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.kuhukakona.blogspot.com

pallavi trivedi said...

बहुत नादान थे ....तुझे ढूँढते फिरते थेगम ने आसमां को तेरा ठिकाना कर दिया |आह निकली थी ....चुपचाप तेरे ज़ेरे-दामनखुदाया तूने उसे जहाँ का तराना कर दिया |

bahut khoob...

Anonymous said...

अच्छी लेखनी हे / पड़कर बहुत खुशी हुई /
आप जो हिन्दी मे टाइप करने केलिए कौनसी टूल यूज़ करते हे...? रीसेंट्ली मे यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा ता, तो मूज़े मिला " क्विलपॅड " / आप भी " क्विलपॅड " यूज़ करते हे क्या...? www.quillpad.in