इंतज़ार, हमारी जिंदगी के कुछ लम्हें इन्ही खूबसूरत,पर
कभी-कभी कातिल लम्हों में बीतते हैं। इंतज़ार में मज़ा भी है
और दर्द भी है;नशा भी है और सुरूर भी है।कभी-कभी तो
रास्ते भी इतने खुश़नुमा हो जाते हैं कि हम मंजिल भूल जाते हैं।
ऐसा खटका होने लगता है कि कहीं मंज़िल आकर इस मस्ती को
कम ना कर दे। इक शे़र है-
कहीं आके मिटा ना दे वो इंतज़ार का लुत्फ़
कहीं कबूल ना हो जाए ये इल्तिज़ा मेरी
पर मैंने इस इंतज़ार में क्या दर्द पाया और क्या खुशी महसूस की,
यह इस नज़्म में दर्ज़ है जो किसी के इंतज़ार में लिखी है-
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
फ़िर बेखुदी में डूबे
फ़िर खटका एक जगाया
फ़िर खोये आसमां में
फ़िर दूरियों को पाया
सुनने को तेरी आहट-हुए हम बेज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
ओ ख्वाहिशों के मालिक
कहाँ भूले रास्तों में
ढूँढे़ तुझे है हरपल
नज़रें मेरी दश्तों में
क्यूँ फिज़ा है बेसदा-दिल रोया ज़ार-ज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
कभी-कभी कातिल लम्हों में बीतते हैं। इंतज़ार में मज़ा भी है
और दर्द भी है;नशा भी है और सुरूर भी है।कभी-कभी तो
रास्ते भी इतने खुश़नुमा हो जाते हैं कि हम मंजिल भूल जाते हैं।
ऐसा खटका होने लगता है कि कहीं मंज़िल आकर इस मस्ती को
कम ना कर दे। इक शे़र है-
कहीं आके मिटा ना दे वो इंतज़ार का लुत्फ़
कहीं कबूल ना हो जाए ये इल्तिज़ा मेरी
पर मैंने इस इंतज़ार में क्या दर्द पाया और क्या खुशी महसूस की,
यह इस नज़्म में दर्ज़ है जो किसी के इंतज़ार में लिखी है-
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
फ़िर बेखुदी में डूबे
फ़िर खटका एक जगाया
फ़िर खोये आसमां में
फ़िर दूरियों को पाया
सुनने को तेरी आहट-हुए हम बेज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
ओ ख्वाहिशों के मालिक
कहाँ भूले रास्तों में
ढूँढे़ तुझे है हरपल
नज़रें मेरी दश्तों में
क्यूँ फिज़ा है बेसदा-दिल रोया ज़ार-ज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
तेरी अदा बेजा
सताते हो बेमजा
हद हो गयी है अब
ना और दे सजा
ये बोझ सा क्या है-बढ़ता जा रहा आज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
ये शाम ढल चुकी है
कातिल बनी है रात
वीरानियों में डूबी
ये सारी काय़नात
घुटती है अब ये साँसे-बहे अश्क़ हजार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
कातिल बनी है रात
वीरानियों में डूबी
ये सारी काय़नात
घुटती है अब ये साँसे-बहे अश्क़ हजार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
गुल शबनमी देखे
गुल कितने रँगीं देखे
गुलशन में तूने हर डगर
गुल ही गुल देखे
अब देख आकर चाक-सीना हो गया गुलज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
है अज़ल का खिलौना
मेरा सूना कारवां
किस राह पर मिलेगा
मुझे तेरा खाके-पां
पल-दो-पल बचे हैं-पर कैसे दूँ गुजार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
अब मौत आ चुकी है
ये हस्ती मिट चुकी है
इक मुझे छोड़कर
फ़िजा बदल चुकी है
कभी देखना ऐ हमदम-आके मेरी मज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
दश्त--जंगल
बेसदा--खामोश
आज़ार--कष्ट
चाक--फटा हुआ
अज़ल--मौत
है अज़ल का खिलौना
मेरा सूना कारवां
किस राह पर मिलेगा
मुझे तेरा खाके-पां
पल-दो-पल बचे हैं-पर कैसे दूँ गुजार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
अब मौत आ चुकी है
ये हस्ती मिट चुकी है
इक मुझे छोड़कर
फ़िजा बदल चुकी है
कभी देखना ऐ हमदम-आके मेरी मज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
दश्त--जंगल
बेसदा--खामोश
आज़ार--कष्ट
चाक--फटा हुआ
अज़ल--मौत
4 comments:
बढ़िया है. बस जरा इसे देखें:
फ़िर खोये आसमां में
फ़िर दूरियाँ ही पाया
दूरियाँ के साथ पाया?? या तो पायीं होता या इसे ऐसा कहें:
फिर दूर उनको पाया
-बस मित्रवत सुझाव है वैसे आपके भाव हैं आपने उचित जान कर ही लिखा होगा.
waah prabhakar. maja aa gaya padhke :)
mujhe nahi pata tha ki tum bhi likhte ho. ;)
i updated my windows with regional language support tools. now Hindi fonts can be viewed properly from my comp as well.
हम तो इन लाईनों में ज्यादा मानते हैं प्रभाकर जी
वो मजा कहाँ वस्ल-ए-यार* में
लुत्फ जो मिला इंतजार में
* वस्ल-ए-यार= प्रियतम/यार/ प्रिय पात्र से मिलन
www.nahar.wordpress.com
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