Saturday, November 3, 2007

उस रुख में क्या रोशन सा है(नज़्म)

शिशिर की ठहरी हवा,ठण्डी हवा
ये हवा बसंती लगती है
तेरे रूप में है तहरीर फँसी
शायर की मस्ती लगती है

ये हवा नहीं झोंके वाली
फिर भी सहला तो जाती है
उस रुख में क्या रोशन सा है
दुनिया जगमग हो जाती है

आवाज़ भी ठहरी है सारी
हँस दो तो सन्नाटे भागे
या एक लहर आँखों में ला
खोये सपनों से हम जागें

पिघली पिघली है धूप यहाँ
यह कौन नूर लुटाता है
शोर भरे सर और दिल को
सर्द सा करता जाता है

10 comments:

Cuckoo said...

Achhi Nazm hai. Pasand aayi. :D
Main bhi kabhi-2 likhti huN.

Meri kavitaayen yahan padh sakte hain.

Anonymous said...

दसवीं के बाद से ही इंजीनियरिंग की तैयारी के नाम पर टाटा,पटना और कोटा में भटकता रहा।और,सिनेमाघरों के चक्कर लगाता रहा।फ़िलहाल अभी काशी हिन्दु विश्वविद्यालय में रसायन अभियांत्रिकी पढ़ रहा हूँ और कोशिश में हूँ कि डिग्री ले लूँ।....हा आहा हा ...कभी ऐसा मैं भी सोचता था ,लेकिन आख़िर मैंने डिग्री ले ही ली ,प्रभाकर भाई !! आप भी ले ही लोगे ....अच्छा प्रभाकर भैया कन्हैया चित्र मंदिर ,में कौन सी फिल्म लगी है? मेरे ब्लोग पर आ कर बता देना ...अच्छा अब चलते है ...जय राम जी की .

सुनीता शानू said...

बहुत सुन्दर नज्म है...शुक्रिया...

Manish Kumar said...

तेरे रूप में है तहरीर फँसी
शायर की मस्ती लगती है
अच्छा खयाल लगा।

Anonymous said...

Namaste Prabhakar Bhai

Many many thanks.

All the best.

Suresh Pandit
Email: biharssangathan@yahoo.com

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत सुंदर रचना!
तम से मुक्ति का पर्व दीपावली आपके पारिवारिक जीवन में शांति , सुख , समृद्धि का सृजन करे ,दीपावली की ढेर सारी बधाईयाँ !

Ghanshyam said...

kuchh bhi likhu is rachna k baare mein to lagega kuchh kam to nahi likha...isse achha na hi likhu to sahi...ab aap samajh hi rahe honge ki kitna achha laga mujhe...
keep it up.
shayad wo din door nahi jab aap Er. k naam se kam aur kavi k naaam se jyade jane jaoge.
My best wishes is wid u....

Ghanshyam said...

Happy diwali

Gyan Dutt Pandey said...

कविता अच्छी लिखते हैं, बन्धु। मैने पिछली कुछ पोस्टों पर घूम कर देखा। पर हिन्दी ब्लॉगरी में कविता ज्यादा ठेली जा रही है - शायद यह ज्यादा आसान ऑप्शन हो।
मेरे विचार से आस-पास का अवलोकन और उसपर लिखना ज्यादा लोगों को साथ जोड़ता है। और ब्लॉगरी वर्चुअल विश्व में लोगों को साथ जोड़ने-जुड़ने की इच्छा की अभिव्यक्ति ही तो है!
आगे अच्छा लिखने-बढ़ने के लिये शुभकामनायें।

Deepa said...

aapki kavathaiyein bahut achi hai.. baad mein aavoongi.. aaraamse padne keliye... laghta hai aapa PDF acha kaam kar raha hai.. phir milenge !!